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नदी

nadi

अनुवाद : मदन सोनी

जॉन एशबेरी

अन्य

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और अधिकजॉन एशबेरी

     

    वह ख़ुद को कुछ अधिक ही अच्छा समझती है
    इन सामान्यीकरणों के लिए और
    द्रवित होती है इन्हीं से। सामने का तट
    छाँह में डूबा है, यह
    अहंकार में। लेकिन मध्य
    ढहता और बनता है लगातार।
    पिकनिक की मेज़ पर एक युगल (लेकिन
    यह बहुत जल्दी है पिकनिक के लिए इस मौसम में)
    भटक चुके हैं आरपार नदी की
    अपनी चाल के अनजान ज्ञान के द्वारा
    बचने उस अत्यधिक अंतर्ज्ञान की
    संभावित ऊब और कीर्ति से पूरा दृश्य
    घिरा है जिसकी पारदर्शिता से। बहुत जल्दी है
     वह कहती है, इस मौसम में। एक बाज़ तिरता चला जाता है।
    वापस भेज दो हरेक को शहर।

       
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 184)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : जॉन एशबेरी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली

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