रास्ते के पेड़ की तरह होगा हमारा प्यार...

raste ke peD ki tarah hoga hamara pyar

शशिभूषण

शशिभूषण

रास्ते के पेड़ की तरह होगा हमारा प्यार...

शशिभूषण

चाहते हुए कि यह सच हो

तुम कहती हो—

तुम्हारी डूब

आकर्षण है बाबू

कोई लड़की होती

तुम्हें इतना ही पागल करती

पर एक दिन सब बदल जाता है

कुछ भी नहीं होता हमेशा के लिए...

मेरे भीतर गूँजती है

मन में बसी लड़कियों की हँसी

अंतहीन दास्तान...

मैं कहना चाहता हूँ

गीत गाना

दुआ माँगना

प्रार्थना करना

करुणा से भर जाना

आँसू झरना

करना इंतज़ार

महज़ लड़की का आकर्षण नहीं हो सकते

कमज़ोर मन को लगाने की कोशिश

होती नहीं उदात्त

रहती नहीं बनकर याद।

समझाते हुए कि ऐसा नहीं होना चाहिए

तुम कहती हो—

कोई किसी के बिना जी ही नहीं पाए

ऐसा नहीं होता दुनिया में

कोई इतनी भली भी नहीं लग सकती सदा

कि दूसरी कभी अच्छी ही लगे

विवाह में अगर प्यार नहीं रह जाता

तो प्यार भी अमर नहीं होता बाबू

प्यासी दुपहरी में

गुज़र जाता है नदी के पानी की तरह

प्यार भी ओझल हो जाता है।

मैं तुमसे झगड़ना चाहता हूँ इन बातों पर

रास्ते का पोखर नहीं होता प्यार

ग़ुस्सा करना

शिकायतें होना

अनबन रहना

दूरी बन जाना

अंतिम नहीं होते

हम फलाँग सकते हैं

ऐसी छोटी-मोटी खाइयाँ।

आख़िर में मनाते हुए

कि ऐसा होना चाहिए

हमें जीनी ही चाहिए रुकी हुई ख़ुशनुमा ज़िंदगी

भरनी ही चाहिए अरमानों की उड़ान

तुम कहती हो

अब कुछ नहीं खोना

नहीं लेना देना किसी से

हम बनाएँगे अपनी बातों, यादों के स्मारक

रास्ते के पेड़ की तरह होगा हमारा प्यार

सब भूलकर

चलो सपनें देखें बाबू।

मुझे फुसफुसाते हुए सुनती हो

मैं जो हूँ वह नहीं होता

तुम जो चाहती हो वह हो पाती

कुछ छोटा-मोटा हमारे हाथों भी बन पाता

जैसे हवा, सुगंध, रंग, रौशनी, आकाश

मैं सजाता इनसे तुमको

आकार देता इन्हें तुम्हारे लिए।

स्रोत :
  • रचनाकार : शशिभूषण
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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