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पुरस्कारों की घोषणा

puraskaron ki ghoshana

रंजना मिश्र

अन्य

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रंजना मिश्र

पुरस्कारों की घोषणा

रंजना मिश्र

और अधिकरंजना मिश्र

    वे अचानक नहीं आए

    वे धीरे-धीरे

    अलग-अलग गली, मोहल्लों, टोलों, क़स्बों, शहरों, महानगरों से आए

    कुछ देर तक चलते रहे

    कइयों ने कोई तेज़ चलती गाड़ी पकड़ी

    वे अपनी दाढ़ी, टोपी, झोले, किताबें, बंडी और

    शब्दों की पोटली लिए आए

    कुछ के पास तो वाद और माइक्रोस्कोप भी थे

    भूख और दंभ तो ख़ैर सबके पास था

    कुछ को लिखते

    कुछ को

    को और को भी

    अपनी जगह दुरुस्त था

    कुछ सिर्फ़ अनुवादों पर यक़ीन रखते

    कुछ की यू.एस.पी. प्रेम पर लिखना था

    इसलिए वे बार-बार प्रेम करते

    कुछ हाशिए के कवि थे

    वे अपनी कविता हाशिए पर ही लिखते

    कुछ कवयित्रियाँ भी थीं

    वे अपने-अपने पतियों को खाने का डब्बा देकर आईं थीं

    वे दुख प्रेम और संस्कार भरी कविताएँ लिखतीं

    कुछ अफ़सर कवि थे कुछ चपरासी कवि

    अफ़सर कवि चपरासी कवि को डाँटे रहता

    और चपरासी कवि, कविता में क्रांति की संभावनाएँ तलाशता

    कुछ एक किताब वाले कवि थे

    वे महानुभाओं की पंक्ति में बैठना चाहते

    दूसरी किताब का यक़ीन उन्हें वहीं से मिलने की उम्मीद थी

    सूक्ष्म कवियों के बिंब अक्सर लड़खड़ाकर गिर पड़ते

    घुटने छिली कविता ऐसे में दर्दनाक दिखाई देती

    सबके अपने-अपने गढ़ थे

    अपनी-अपनी सेनाएँ

    वे अपनी-अपनी सेनाओं का नेतृत्व बड़ी शान से करते

    वे विशेष थे

    वे विशेष दुखी, विशेष ज्ञानी और अधिक ऊँचे थे

    इतने ऊँचे

    कि अक्सर वास्तविकता से काफ़ी ऊँचाई पर चले जाते

    हँसी उनके लिए वर्ज्य थी

    उनका विश्वास था हँसते हुए तस्वीरें अच्छी नहीं आतीं

    वे थोड़ी-थोड़ी देर में मोटी-सी किताब की ओर देखते

    और बड़े-बड़े शब्द फेंक मारते

    कुछ कमज़ोर कवि तो सहम जाते

    पर थोड़ी ही देर में ठहाका लगाकर हँस पड़ते

    ऐसे में दाढ़ी वाले कवि टोपी वाले कवि को देखते

    और मुँह फेर लेते

    वाद वाला कवि जल्दी-जल्दी अपनी किताबे पलटने लगता

    माइक्रोस्कोप वाला बड़ी सूक्ष्मता से इसे समझने की कोशिश करता

    और कुर्ते वाला झोले वाले को कुहनी मारता

    बड़ा गड़बड़झाला था

    थोड़ी ही देर में

    चाय समोसे का स्टाॅल लगा

    और समानता के दर्शन हुए

    पुरस्कारों की घोषणा अभी बाक़ी थी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रंजना मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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