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पुनर्जन्म

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निखिल आनंद गिरि

निखिल आनंद गिरि

पुनर्जन्म

निखिल आनंद गिरि

क्या तुमने लिफ़्ट में भागकर जगह बना ली

किसी बीमार या बुज़ुर्ग से पहले

किसी को सड़क के उस पार छोड़ दिया

अंधी छड़ी के सहारे

किसी प्रेम में झूठ की सीढ़ी लगाकर

बहुत ऊँचाइयाँ छुईं दोनों हाथों से?

दुनिया बदलती रही तुम्हारे सामने

और तुम कोई प्रेम-गीत गुनगुनाते रहे

क्या कोई टीवी चैनल इसीलिए अच्छा लगा

कि वह ख़ून की भाषा बोलता है?

अगर इन सबका जवाब हाँ है

तो फ़िलहाल तुम्हारी मृत्यु पर अफ़सोस है

जिसकी जानकारी तुम्हें भी नहीं

किसी शहर में पानी की हत्या पर

थोड़ी देर ही सही मौन रखा?

किसी अजन्मे बच्चे की मौत पर

सोच पाए क्या कोई कविता?

किसी फ़िल्म में तुम ख़ुद को देख पाए

जहाँ सबसे अधिक ज़रूरत थी किसी स्त्री को?

किसी बड़बोले राजा के ख़िलाफ़ आँख उठाई कभी

सपने में ही सही

यदि इन सबका जवाब हाँ है तो

मैं पुनर्जन्म में भरोसा रखता हूँ

और यह मानता हूँ

कि उम्मीद एक ज़िंदा शब्द है।

स्रोत :
  • रचनाकार : निखिल आनंद गिरि
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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