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प्रजातंत्र के विरुद्ध

prjatantr ke wiruddh

धूमिल

अन्य

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धूमिल

प्रजातंत्र के विरुद्ध

धूमिल

और अधिकधूमिल

    पेट में धँसे छुरे के साथ भागती है अलारक्खी

    सस्ते गल्ले की दुकान की बाहरी

    दीवार से टकराती है। उसकी ख़ून भरी मुट्ठी में भिंचा हुआ

    राशन कार्ड, हरित क्रांति के विरुद्ध

    उसकी टाँगों में आफ़त है

    मौत के सिरे पर एक ज़िंदगी

    शुरू हो रही है। भाई रमजान! रामनाथ!

    पेट से छुरा निकलने के पहले

    उसकी टाँगों में फटती हुई आफ़त को निकालो।

    और उस आततयी की तलाश करो, हाय हाय!

    इस बच्चे के पिता इस औरत के पति की तलाश करो

    यहीं कहीं

    हाँ-हाँ यहीं कहीं होगा

    किसी बद्दू मुहावरे की आड़ में

    ख़ुदकुशी की रस्सी लटकाता हुआ,

    पेट से लड़ते-लड़ते जिसका हाथ अपने प्रजातंत्र पर

    उठ गया है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कल सुनना मुझे (पृष्ठ 54)
    • रचनाकार : धूमिल
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1999

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