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प्रेमिकाएँ

premikayen

ममता जयंत

अन्य

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ममता जयंत

प्रेमिकाएँ

ममता जयंत

और अधिकममता जयंत

    किसी कॉपी या किताब में नहीं

    उर के आले में रखती हैं ये प्रेमी की तस्वीर

    निरखती हैं छवियाँ रातों की तंहाई में 

    या अलस भोर की उस बेला में 

    नहीं जगे होते जब परिंदे भी

    भरती हैं उन कोटरों में रंग

    जो अछूती रह गईं परीणिताओं से

    नहीं पहुँचता जहाँ रौशनी का एक कतरा भी उम्र भर।

    हृदय के धरातल पर रचती हैं

    निजता का संसार और सृजित करती हैं 

    अपने हिस्से का सूरज इच्छाओं का आकाश

    उद्द्याम नदियाँ भरती हैं

    मन के सहरा की प्यास 

    सींचती हैं अपने नेह-नीर से प्रेम के बेल-बूटे 

    हर राह पर धरती हैं संभलकर डग

    संग चलती हैं बिछुड़ने को 

    याद करती हैं भूलने को 

    पर नहीं भूलतीं प्रेमिल स्पर्श के अहसासों की छुअन 

    ये वक्त का हिसाब नहीं प्रेम के पल चाहती हैं

    साज-शृंगार नहीं मौन के अर्थ चाहती हैं

    प्रेम में सराबोर प्रेमिकाएँ

    रूढ़ियों के देश में आधुनिक होना चाहती हैं 

    नहीं होतीं रीती गागर-सी

    भरी रहती हैं स्नेह के सागर-सी

    पार कर जाती है एक दिन प्रेम के सारे सोपान 

    और प्रेमी जी जाते हैं 

    उम्र पलों में!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता जयंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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