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यात्रा-अंतर्यात्रा

yatra antaryatra

मेधा झा

अन्य

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मेधा झा

यात्रा-अंतर्यात्रा

मेधा झा

और अधिकमेधा झा

    सुनो सखियों!

    किसी एक दिन

    जब तुम्हारे मन की डायरी 

    भर चुकी हो दिनचर्या के बातों से

    उठो और सोचो

    अपने मनपसंद जगह के बारे में

    तत्क्षण तैयार करो अपना सामान

    और निकल जाओ 

    यात्रा पर अकेले

    याद रखना 

    वस्त्र तुम्हारे सहज हों 

    और जूते आरामदायक

    यह अकेला यात्रा 

    विस्तार देगा तुम्हें

    और बताएगा तुम्हारी

    बहुत-सी छुपी हुई क्षमताएँ

    यक़ीन मानो

    अचानक से दुनिया

    अलग ढंग की दिखेगी तुम्हें

    जो भरी है सुंदर जगहों से

    सुंदर दृश्यों से

    और अच्छे लोगों से

    यह यात्रा परिचित करवाएगा तुम्हें

    उन सभी रास्तों से

    जिनसे पहले भी गुजरी थी तुम

    तुम्हें याद रहेगा अब

    तुम्हारे होटल के पास वाला

    घंटा घर और रेस्टोरेंट की 

    विशिष्ट ख़ुशबू भी

    ताकि लौट सको पुनः 

    तुम अपने ठिकाने पर

    जागृत हो उठेंगी

    तुम्हारी सारी इंद्रियाँ

    क्योंकि तुम्हें पता है

    तुम्हें ख़्याल रखना है अपना

    इस यात्रा में

    सहयात्री कई मिलेंगे

    लेकिन करनी तुम्हें है यात्रा 

    अकेले सिर्फ़ अपने साथ

    अगर तुम चाहती हो

    इस दृश्यों, जगहों

    लोगों को जानना

    और ख़ुद को पहचानना

    बिल्कुल अपने ढंग से

    तो फिर देर किस बात की है

    ख़रीदो अपने मनपसंद वस्त्र

    बाँधों सामान और

    पहनो अच्छे जूते

    फिर निकल पड़ो

    आज, अभी

    अपनी यात्रा पर

    अपने मन बंजारे के साथ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मेधा झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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