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पिंजरे का पंक्षी

pinjre ka pankshi

पल्लवी विनोद

अन्य

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पल्लवी विनोद

पिंजरे का पंक्षी

पल्लवी विनोद

और अधिकपल्लवी विनोद

    आए कोई राजकुमार

    लंबी-सी कार पर सवार

    और हमें ले जाए उस सपनीली दुनिया में

    जो हमारे पास नहीं है

    हमारी दुनिया में बेटी होने का बोझ लिए

    घर वालों के झुके कंधे हैं

    बड़ी-बड़ी दीवारें हैं

    और खिड़कियों को बंद कर दिया गया है

    वो क्या है बाहर की हवा

    हमारे शील को भंग कर सकती है

    हमारे नाम का एक बक्स है

    जिसमें जोड़ा जाता है कन्या-धन

    तो सुनो राजकुमार!

    जिसका हाथ हमारे पिता

    तुम्हारे हाथ में दे रहे हैं

    वह सपनों की दुनिया में है

    उसके लंबे टु डू लिस्ट में

    बहुत सारी तितलियाँ हैं

    जिन्हें उसने अब तक नहीं देखा है

    उसके सपनों में

    खारे पानी में भीगी एक नमकीन लड़की है

    जिसके नख़रे उठाता साथी गिटार बजाता है

    जो जाने कितनी बार अपनी कल्पनाओं में

    गिरती हुई बर्फ़ में शिफ़ॉन की साड़ी में

    तुमसे लिपट जाती है

    वह नहीं जानती तुम पर टार्गेट का कितना प्रेशर है

    या क्रेडिट कार्ड पर कितना लोन है

    उसने बचपन से यही सुना है :

    “जो भी करना है तुम्हारे घर में करना है”

    उसकी खिलखिलाहट सुनना

    चिड़चिड़ाहट समझना

    वह भी धीरे-धीरे समझ जाएगी

    पंख को कब समेटना

    कब खोलना है

    पिंजरे का पंक्षी बाहर निकलते समय

    जितना भी भड़भड़ाए

    बहुत जल्दी जान जाता है

    घोंसले की अहमियत।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पल्लवी विनोद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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