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फूँक

phoonk

समीर रायचौधुरी

अन्य

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और अधिकसमीर रायचौधुरी

    चुटकी बजाकर सिगरेट की आग को राख से अलग कर लिया उन्होंने

    जिन्होंने स्ट्राइकर पर आघात करते हुए सफ़ेद तथा काली गोटियों के बीच

    समाधान ढूँढ़ते हुए

    देखा है लाल रंग चीखता है ज़रूरत से ज़्यादा

    शायद उन्हें पता हो आदत और लक्ष्य के बीच की दूरी

    जिन्होंने फूँक मारकर बुझाई हो

    या फूँक की मदद से बजाई हो बेचैन कर देने वाली बाँसुरी

    उन्हें पता है एकबग्घा और चतुर्दिशा में दौड़ती हवा के बीच का भेद

    बाँसुरी के शरीर में बसते हैं कई हाज़िर-जवाब छेद

    किसी-किसी का कहना है वे वायुमंडल की ओर खुलने वाली खिड़कियाँ हैं

    जिन्हें एक-एक कर खोलने या बंद करने पर

    बाहर जाते हैं हवा के शरीर में निहित वलय

    दुर्योग के सामने जिस तरह काँपते होते हैं निरुपाय

    हवा के झोंके के बीच छुपकर होता है पराग का लेनदेन

    छुपने और बाहर आने के चलन-कम

    अलसाई गति के पास क़ैद रहती साँसों वाली गति

    आँख के एक पल के पास निरुद्विग्नता

    जिस छेद से उँगली हटा लेने पर निकल आता है स्वास्थ्य-केंद्र

    उसके बाद वाले छेद में प्रतीक्षारत है समुद्री यात्राएँ

    एक में निश्चिंत सोए रहते हैं हिरन

    तो दूसरे में धीरे-धीरे आगे बढ़ते होते हैं भूखे शेर—

    छेदों के बीचोंबीच रखी चित्रलेखनी

    या वाइड-एंगेल लेंस का डरा-डरा सा एपरचर,

    जिस छेद से उँगली हटा लेने पर बाहर आवाजाही करती हैं

    दुखी मियाँ के मेले की कहानियाँ—

    और शुकुआ मुर्मू के तस्वीर बनाते हाथ—

    बाहर सकता है बिगुल तथा बैगपाइप की वंशावली

    क्या उसी ओर जाना चाहते हैं सत्ता के सहगामी, एकरैखिक, मोमबत्ती की

    फूँक?

    किसी ख़ाली जगह को फूँकते ही निकल आती हैं सपाट जगहें

    निकलकर बाहर आना चाहते हैं विस्फोट, सैनेटोरियम—

    बढ़ने लगता है फूँक की चाहत में अनगिनत छेदों वाला सिलसिला।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अधुनांतिक बांग्ला कविता (पृष्ठ 297)
    • संपादक : समीर रायचौधुरी, ओम निश्चल
    • रचनाकार : समीर रायचौधुरी
    • प्रकाशन : परमेश्वरी प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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