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चोरी

chori

अय्यप्प पणिक्कर

अन्य

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और अधिकअय्यप्प पणिक्कर

    महज़ इसलिए कि मैंने कुछ चीज़ें चुराईं

    तुम मुझे चोर क्यों कहते हो, चोर?

    पर तुमने हमारे कपड़े चुराए हैं!

    यदि मैंने तुम्हारे कपड़े चुराए हैं, तुम्हारे कपड़े

    तो यह सिर्फ़ तुम्हारी शर्म की इज़्ज़त रखने के लिए

    सिर्फ़ तुम्हारी शर्म की इज़्ज़त रखने के लिए

    तुमने हमारी मुर्ग़ी भी चुराई है

    यदि मैंने चुराई है हमारी मुर्ग़ी, जैसा तुमने कहा

    तो यह सिर्फ़ इसे तलने और खाने के लिए

    सिर्फ़ तलने और खाने के लिए

    तो हमारी गाय के बारे में क्या जिसे तुमने चुराया

    गाय के बारे में क्या जिसे तुमने चुराया

    उस गाय से तुम्हारा आशय

    ठीक है, यदि मैंने चुराई है तुम्हारी गाय, गाय तुम्हारी

    यह थी, यह तो मेरे लिए थी उसका दूध पीने के लिए

    मेरे हकीम ने, कृपया नोट करें

    तली मुर्ग़ी या गाय के दूध का परहेज़ नहीं कहा है

    जब भी कोई चुराता है कोई चीज़ उम्दा, कोई चीज़ अच्छी

    तुम लोग बेबात तूफ़ान खड़ा कर देते हो

    और उसका चोर नाम धर देते हो, चोर

    यह तुम्हारे क़ायदों की ग़लती है

    यह तुम्हारे क़ायदों की ख़ामी है

    तो फिर तुम अपने क़ायदे बदलो, मैं कहता हूँ

    ऐसा हो कि तुम्हारे क़ायदे तुमको बदल दें

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 234)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : अय्यप्प पणिक्कर
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

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