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पाँव के नीचे की ज़मीन

panw ke niche ki zamin

श्रीविलास सिंह

अन्य

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श्रीविलास सिंह

पाँव के नीचे की ज़मीन

श्रीविलास सिंह

और अधिकश्रीविलास सिंह

    गाँव में

    अब बच्चे नहीं खेलते

    गुल्ली डंडा, कबड्डी, छुप्पा-छुप्पी

    अब वे नहीं बनाते

    मिट्टी की गाड़ी

    नहीं पकड़ते तितलियाँ

    गौरैयों और कबूतरों के

    घोंसलों में देख उनके बच्चों को

    अब वे नहीं होते रोमांचित

    अब उन्हें रोज़ नहीं चमकानी पड़ती

    लकड़ी की तख़्ती

    ढिबरी की कालिख से माँज कर

    और ही उस पर बनानी पड़ती हैं

    दूधिया सतरें खड़िया से

    और अब वे नहीं रटते पहाड़े

    दो दूनी चार...

    क्रिकेट, टी.वी., कंप्यूटर

    मोबाइल और सोशल मीडिया के युग में,

    खपरैल की जगह

    स्कूल की पक्की इमारतों

    और अंग्रेज़ी के पैबंद के बावजूद

    क्यों लगता है कि

    इन बच्चों के लिए

    हम नहीं तैयार कर पा रहे

    वह ठोस ज़मीन

    जहाँ बैठ वे बुन सके सपने भविष्य के

    खड़े होकर जिस पर वे

    उड़ सके छू लेने को

    आसमान।

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रीविलास सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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