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पहली पीढ़ी की आत्मनिर्भर स्त्रियाँ

pahli piDhi ki atmanirbhar striyan

मेधा झा

अन्य

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मेधा झा

पहली पीढ़ी की आत्मनिर्भर स्त्रियाँ

मेधा झा

और अधिकमेधा झा

    अपने एक हाथ में थामे घर 

    और दूसरे में संभाले नौकरी

    सधे-संतुलित शरीर 

    एवं जागृत हर ज्ञानेंद्रिय से

    रखा उन्होने सधा हुआ हर क़दम

    और नकारा ख़ुद पर ज़मी हुई हर दृष्टि को

    झेला प्रत्येक उस दबाव को

    जिसमें उन्हें उत्तीर्ण होना था

    हर बार सौ प्रतिशत अंकों के साथ,

    क्योंकि इसके अलावा

    नहीं था उनके पास कोई विकल्प।

    क्या इतना सहज रहा होगा ये सब?

    कौन रही हैं वो देवियाँ

    जिन्होंने प्रशस्त किया मार्ग

    आने वाली समस्त पीढ़ी का

    नए रास्ते सृजन के लिए

    खुल कर जीने के लिए?

    प्रत्येक बार सोचती हूँ मैं

    और हर बार झुकता है शीश मेरा

    श्रद्धा से, समर्पण से;

    उनके लिए 

    जिन्होंने सूत्रपात किया 

    इस क्रांति का।

    सधी रस्सी पर 

    संतुलन साधे चलती 

    छोटी-सी क्रांतिकारिणी

    हर बार याद दिलाती है मुझे,

    उस दैदीप्यमान चिंगारी की,

    जिसने जगमग किया है

    आधी आबादी के 

    कल्पना के रंगीन संसार को।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मेधा झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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