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पहचान-पत्र

pahchan patr

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

सच्चिदानंद राउतराय

अन्य

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और अधिकसच्चिदानंद राउतराय

    कैसे दूँ अपना परिचय,

    दूसरा कोई देगा कैसे?

    क्या मैं जानता हूँ कहाँ से आया,

    और कहाँ जाऊँगा;

    जो फैला है

    अजान से अजान तक।

    मैं तो एक यायावर,

    चल रहा अविरत

    यहाँ से वहाँ तक।

    मैं नहीं जानता कहाँ से कहाँ तक

    और कब,

    देश, काल, पात्र के बाहर

    मेरा अतीत और भवितव्य,

    देखे, सुने, जाने-पहचाने के बाहर

    अवर्तमान में।

    मैं हूँ अपना अदृष्ट

    मेरी स्थित-बूँद,

    काल का एक बुलबुला

    एक पल, एक क्षण।

    यात्रा मेरी अपूर्ण विराम की ओर।

    मैं हूँ समाहार द्वंद्व का

    अपने को छोड़ औरों का स्वागत करूँ

    पकड़ाई में आता विरोधाभास में।

    मेरा पहचान-पत्र

    झूलता एक राह में

    जिसका कोई नहीं अक्षर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 71)
    • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
    • रचनाकार : सच्चिदानंद राउतराय
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2009

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