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निशा चक्र

nisha chakr

होर्खे लुइस बोर्खेस

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और अधिकहोर्खे लुइस बोर्खेस

    (सिलविना बुल्चि को)

    पाइथागोरस के परिश्रमी शिष्य जानते थे यह संयोग

    कि नक्षत्र हों या मनुष्य उनकी नियति है पुनरावृत्ति

    इन्हीं अस्थिर तत्वों से होते रहेंगे बार-बार निर्मित

    वही प्रेम की देवी अफ्रोदीत, ये बाज़ार हाट, थीब्स के लोग

    किन्नरों के कठोर खुर रोंदेंगे लपोथिअन का वक्ष

    भविष्य में भी। धूल हो चुका होगा रोम का प्रताप।

    अंतहीन रातों में नरवृषभ के दारुण विलाप

    से गूँजेंगे इन महलों से सूने सीलन भरे कक्ष...

    उन्ही बेचैन अँधेरों को लौटना है—उसी तरह, वैसा ही—

    यह सब लिखते हुए इस हाथ को पुनः जन्म पाना है

    उसी गर्भ से। विकराल फ़ौजों को फिर क़हर ढाना है—

    एडिनबर्ग के ह्यूम ने भी कहा था कुछ ऐसा है—

    जाने कौन-सा भाग्य चक्र फिर यहाँ ले आए अकस्मात् मुझे

    जैसे जोड़ बाक़ी में वही अंक बार-बार आते हैं घूमफिर कर

    निश्चय ही पाइथागोरस वाला वही अजीबोग़रीब चक्कर

    इस दुनिया में छोड़ जाया करता है हर रात मुझे

    दुनिया के बाहर कहीं। दूर जहाँ वीरान-सी एक गली

    उत्तर या दक्षिण या पूरब में कहीं : वहीं एक दीवार

    हमेशा-हमेशा आसमानी रंग की : एक छायादार

    अंजीर का पेड़ : और उससे लगी पगडंडी कंकरीली।

    यही है ब्यूनोस आइरेस। समय ने बहुत कुछ दिया बहुतों को

    —प्रेम, धनदौलत—पर मेरे हिस्से में हर बार आया

    केवल यह एक गुलाब ही मुर्झाया,

    सूनी सड़कों का बवाल, दुहराता पुराने नामों को—

    मेरे रक्त में लाप्रीदा, कैब्रेरा, सोलेर, सुआरेज़ जैसे नाम

    जिनमें ऐसा लगता मानों गूँजते हों फ़ौजी बिगुल

    सुबह-सुबह प्रजातंत्रों और अश्वारोहियों के शोरगुल

    जयघोष करते लड़ते-भिड़ते योद्धाओं के कुहराम।

    इन उपेक्षित चौराहों पर उतरते हुए बोझिल अँधियारे

    प्रांगण-से लगते हैं किसी वीरान महल के वास्ते

    और जगह में जगह बनाते चले जाते ये एक रूखे रास्ते

    मानो नींद और अज्ञात भयों के अंधे गलियारे—

    फिर लौटता अनक्सागोरस का खोखला अँधेरा भविष्य—

    मेरे हाड़माँस में एक अनंत आवागमन है व्याप्त,

    स्मृति में एक योजना, एक अंतहीन कविता की शुरुआत

    जानते थे इस रहस्य को पाइथागोरस के परिश्रमी शिष्य...

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 42)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : होर्खे लुइस बोर्खेस
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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