नरक में कौन दुखी है

narak mein kaun dukhi hai

ओम प्रभाकर

ओम प्रभाकर

नरक में कौन दुखी है

ओम प्रभाकर

नरक में कौन दुखी है

सभी सुखी हैं नरक में

नरक में सभी स्वतंत्र हैं

आर्तनाद करते हए

अनहद नाद सुनने को

नरक में अवकाश है

अपान वायु है नरक में

नरक में प्रस्राव है

जठराग्नि है नरक में

पृथ्वीहीन नरक में सभी देश हैं

सभी सांगोपांग हैं

गलितांग नरक में

व्यवस्था का प्रश्न कभी उठता ही नहीं

शासी के आदेश वासी

और वासी के निवेदन शासी

कभी सुनते ही नहीं नरक में

जो होता है

उसका कोई विधान है

निदान

इसीलिए नरक जीवित है

कि वह कभी जन्मा ही नहीं

कुछ प्राप्तव्य है नरक में

देय

खाद्य है क्षुधा नरक में

और तृष्णा है पेय

नरक में हेय कुछ है ही नहीं

श्रेय भी नहीं

प्रेय है केवल

आर्तनाद करते हुए

अनहद नाद सुनना नरक में।

स्रोत :
  • पुस्तक : साक्षात्कार 131-133 (पृष्ठ 46)
  • संपादक : मनोहर वर्मा
  • रचनाकार : ओम प्रभाकर

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