नमक हराम

namak haram

जितेंद्र श्रीवास्तव

आँखों के जल में होता है नमक

पर कितना

किससे पूछा जाए!

क्या वह स्त्री ठीक-ठीक बताएगी

आँखों के जल में नमक का अनुपात

जिसकी उम्र का अधिकांश

आँसुओं से भीगे आँचल को सुखाने में बीता है

या बताएगी वह अपराधी घोषित कर दी गई नदी

जिसने समुद्र में अपने विलय से इनकार कर दिया

वैसे पूछा तो उससे भी जा सकता है

जिसकी माँ स्वर्ग सिधार गई उसके जन्म-समय

प्रसव पीड़ा, रूढ़ियों और सुविधाओं की कमी से

निश्चय ही उसका कंठ अब भी सूखा होगा

पर वह हुआ निरा पुरुष तो बोलेगी कितना सच!

सदियों से आँखों की गहराई का उपमान रहा है समुद्र

पर शायद ही कभी किसी ने याद किया हो

दोनों को साथ-साथ नमक के लिए

शायद ही कभी किसी ने विचार किया हो

दोनों के खारेपन के अंतर पर

समुद्र चाहे जितना हो अगम

छिपा नहीं पाता अपना खारापन

पर स्त्रियाँ अनादि काल से पी रही हैं अपना खारापन

बदल रही हैं

आँखों के नमक को चेहरे के नमक में

और पुरुष चमत्कृत है ख़ुश है

कि यह रूप-लावण्य उसके लिए है

वह ख़ुश होता है जैसे समुद्र पर

वैसे ही स्त्री पर

उसके लिए दोनों महज़ सौंदर्य हैं

कभी-कभी क्रोध में

रक्त-मज्जा में समाए स्वभाववश

कहता वह दोनों को अबूझ भी

वैसे पूछिए कभी किसी ऐसे पुरुष से

जिसने प्रेम नहीं किया स्त्री को स्त्री में बदलकर

कि कितना नमक होता है

आँखों से बहती जलधारा में

तो वह नहीं बता पाएगी

संभव ही नहीं बता पाना उसके लिए

यह समुद्र का पानी नहीं

जिससे छान लिया नमक

यह पीड़ित खदबदाती आत्मा का जल है

इसमें चाहे जो हो नमक का अनुपात वह अनमोल है

और मुहावरे में कहें तो इस नमक को

अपना सुख समझता पुरुष पूरा नमक हराम है।

स्रोत :
  • रचनाकार : जितेंद्र श्रीवास्तव
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY