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नदिया

nadiya

प्राची

अन्य

अन्य

प्राची

नदिया

प्राची

और अधिकप्राची

    एक उम्मीद से नदी की तरफ़ निहारती

    बाट जोहती मछली पकड़ने वाली

    निषाद लड़कियों की

    जिनमें शामिल होती—

    एक गोंड, एक तेली,

    एक मरार और एक अहीर छोकरी

    अपने-अपने कपड़े पचरी में रख

    वे उतरतीं घुटने भर पानी में

    और पकड़ लेती चारों

    एक-एक छोर दुपट्टे का

    हो जातीं शाँत

    मानो बाबू गए हों

    देखतीं एकटक

    अब आने लगी हैं धीरे-धीरे

    छोटी-छोटी मछलियाँ

    उनकी साँटी में जमी धूल को खातीं

    दुपट्टे में अटकी उड़द खाने

    पहले आती चिंगरी

    फिर कोतरी

    फिर मोंगरी

    दुपट्टे में धीरे-धीरे बस जाता

    मछलियों का छोटा-सा संसार

    और पानी से अचानक ऊपर उठ आती

    मछलियों की मृगतृष्णा

    सब झपट पड़तीं कि

    कौन-सी भूँजी जाएगी

    किसका साग बनेगा

    किसको कोकड़े के लिए छोड़ना है

    और कौन-सा वह ले जाएँगी

    बोतल में बंद कर घर में रखने को

    …तू मछली नहीं खाती

    हमारे यहाँ पाप कहते हैं इसे

    ठीक है तू छाँट और ले जा

    मरेगी तो फेंक देना

    दूसरी पकड़ लेंगे

    सब अपनी-अपनी मछली बाँधकर

    कूद जातीं नदिया में

    हो जातीं मछली…

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्राची
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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