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माँडने और नारे

manDane aur nare

सोमदत्त

अन्य

अन्य

सोमदत्त

माँडने और नारे

सोमदत्त

और अधिकसोमदत्त

    जब तक आदमी के हाथ और आँखें हैं

    आँखों में धरती, आकाश, फूल, पत्ती हैं

    दूध, दही, नगाड़े, बेटे, बेटी हैं

    गाड़ी, बैल, मोर, चिड़ियाँ, चाँद, तारे हैं

    औरतें हैं सपने भरे हाथों से खिलखिली

    मिट्टी-गोबर में सनी

    बच्चे हैं खिलौनों भरे मन में उभे-चुभे

    लड़कियाँ हैं पाँखुरियों तितलियों की फरफराहटों में पगीं

    बहुएँ धरती-अक्कास फलाँगतीं

    बेसुधियों-सुधियों में

    दीवारें ख़ाली नहीं रहेंगी

    माँडने माड़े जाएँगे

    जब तक आदमी के हाथ और आँखें हैं

    आँखों में दूसरे की धरती

    दूसरे का आकाश, फूल, पत्ती है

    दूसरों के ढोर, दूध, दही, नगाड़े हैं

    दूसरों के गाड़ी, बैल, मोटर, हवायान हैं

    जब तक अपनी औरतें हैं टूटी

    अपने बच्चे रुखे, सूखे, बियाबान

    जब तक दूसरी औरतें हैं सुर्ख़रू

    दिल के भीतर उठती हँसी से ताज़ा बच्चे दूसरों के

    जब तक ख़ून है

    उबलता हुआ नसों में अपनी

    जब तक ख़ून है दौड़ता हुआ दूसरों की नसों में

    उबलते ख़ून की ताक़त से

    तब तक दीवारें ख़ाली नहीं रहेंगी

    नारे लिखे जाएँगे!

    स्रोत :
    • पुस्तक : निषेध के बाद (पृष्ठ 129)
    • संपादक : दिविक रमेश
    • रचनाकार : सोमदत्त
    • प्रकाशन : विक्रांत प्रेस
    • संस्करण : 1981

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