Font by Mehr Nastaliq Web

मैं शहर हूँ—

main shahr hoon—

निशांत जैन

अन्य

अन्य

निशांत जैन

मैं शहर हूँ—

निशांत जैन

और अधिकनिशांत जैन

    मुस्कानों का बोझा ढोए,

    धुन में अपनी खोए-खोए

    ढूँढता कुछ हर पहर हूँ।

    मैं शहर हूँ।

    बेमुरव्वत भीड़ में,

    परछाइयों की निगहबानी,

    भागता-सा हाँफता-सा

    शाम कब हूँ, कब सहर हूँ,

    मैं शहर हूँ।

    सपनों के बाज़ारों में क्या,

    ख़ूब सजीं कृत्रिम मुस्कानें,

    आँखों में आँखें, बातों में बातें,

    खट्टी-मीठी तानें,

    नज़दीकी में एक फ़ासला,

    मन ही मन में घुला ज़हर हूँ।

    मैं शहर हूँ।

    मन के नाज़ुक से मौसम में,

    भारी-भरकम बोझ उठाए,

    काग़ज़ की क़श्ती से शायद,

    हुआ है अरसा साथ निभाए,

    ख़ुद के अहसासों पर तारी,

    हूँ सुकूँ या फिर कहर हूँ।

    मैं शहर हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : निशांत जैन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए