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मैं ओैर तुम

main oair tum

निकोलाइ गूमिलेव

अन्य

अन्य

निकोलाइ गूमिलेव

मैं ओैर तुम

निकोलाइ गूमिलेव

और अधिकनिकोलाइ गूमिलेव

    मेरा तो संसार अलग है, लो मैं कहता हूँ ललकार,

    नहीं तुम्हारी दुनिया मुझको पाएगी अपने अनुसार,

    वीणा की झंकार सकेगी कभी नहीं मेरा मन जीत,

    मुझको तो केवल भाता है जंगल का निर्जन संगीत।

    बैठ सजे कमरों के अंदर अपने गीत नहीं गाता,

    फैशन के सेवक नर-नारी दल से मेरा क्या नाता,

    मैं अपना संगीत सुनाता हूँ वन के वांशिदों को

    जल झरनों को, नभ मंडल के बादल और परिदों को।

    मैं प्रेमी हूँ, किंतु नहीं जो पग-पग पर सकुचाता है,

    जो तारों की ओर देखता अपने में सो जाता है,

    मेरा प्यार मरुस्थल का-सा प्यासा जब जल पाता है,

    उसके ऊपर टूट-झपटकर अपनी प्यास बुझाता है।

    ऐसी मेरी मृत्यु सेज को पा सकेगा जिब्राईल—

    एक तरफ़ है खड़ा पादरी, और दूसरी ओर वकील,

    एक भयंकर घाटी में जा छोडूँगा मैं अपना प्राण,

    पाऊँगा वन की लतिकाओं में अपना अंतिम परिधान।

    जाऊँगा मैं नहीं स्वर्ग में जिसका ग्रंथों में वर्णन,

    जिसके पथ पर छाया रहता सुंदर, निर्मल, नील गगन,

    मैं जाऊँगा वहाँ जहाँ पर वेश्यागामी, चोर, दलाल,

    मुझे देखकर साथ कहेंगे, “भाई, स्वागत, इस्तक़बाल।”

    स्रोत :
    • पुस्तक : चौंसठ रूसी कविताएँ (पृष्ठ 120)
    • रचनाकार : निकोलाइ गूमिलेव
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 1964

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