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मैं

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हरभजन सिंह माँगट

अन्य

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और अधिकहरभजन सिंह माँगट

    पेड़ जैसा मेरा ममत्व

    उखाड़कर पंजाब की धरती से

    लगा दिया, कहीं समंदर पार

    लेकिन जड़ रह गई वहीं

    पत्ते सूखते जाते

    निर्जीव पेड़ का करेंगे क्या?

    सारे पत्ते एक के बाद एक झड़ रहे

    आख़िर पेड़ सूख जाएगा एक दिन

    वास्ता रब्ब का, कभी मत उखाड़ना पेड़

    वे और होते हैं

    जो गमलों में उगते हैं

    मेरा पेड़ धरती पकड़े

    मैं, पेड़ धूप, शीत और बरसात में

    ठहरा हुआ, बाँहें फैलाकर

    कभी सूखने वाला,

    यदि कोई कर दे जड़विहीन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 304)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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