बहनापा

bahnapa

रश्मि भारद्वाज

किसी कामनावश नहीं मिले थे उनके होंठ

सदियों से अतृप्त थीं वे

शताब्दियों से निर्वासित

देवों के हृदय से

जिनकी शय्या पर बिछाई जाती रहीं फूलों की तरह

और मसल कर फेंकी जाती रहीं

भोगा गया तन

अनछुई रही आत्मा

उनके ज़ख़्म

एक स्त्री का शरीर ही देख पाया था

हौले से छुए उन्होंने एक दूसरे के घाव

सहलाया हर अव्यक्त पीड़ा को

उनके बीच

रंग था, वर्ण, जाति, आयु, शरीर

वे दो आत्माएँ थीं

हर संशय और हीनता से मुक्त

एक दूसरे में लीन

उन्हें सुख ने नहीं,

मोह और भोग ने नहीं

दुःखों ने एक दूसरे से बाँधा था

***

उनके गीत उनका रुदन थे

माथे से माथा जोड़

कंठ से कंठ मिला

जिसे गाती रही थीं वे : बिना सुर-ताल

उन्होंने मिट्टी की दीवारों पर साथ उकेरे अपने स्वप्न

और उनमें अपनी दमित इच्छाओं का रंग भरा

क़िस्से-कहानियाँ बाँचते

उन्होंने जी लिया अपना निर्वासित मन

चूल्हे के धुएँ से जब सजल हो आई आँखें

उन्होंने साथ मिलकर कहकहे लगाए

और भोजन में घुल आया स्वाद

आज भी उन्हें जोड़ रखा है कलाओं ने

उन्हें पढ़नी आती है एक दूसरे की आँखों की अव्यक्त भाषा

***

उनका मिलन छिपा है संगीत की अबूझ धुनों में

उन्हें जानना हो तो डूबना रंगों की जटिलताओं में

वे मिलेंगी कविताओं की अव्यक्त पंक्तियों के बीच

एक दूसरे को प्रेम करते हुए

वे जन्म दे रही हैं हर क्षण

एक नई पृथ्वी

स्रोत :
  • रचनाकार : रश्मि भारद्वाज
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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