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अनीता वर्मा

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और अधिकअनीता वर्मा

     

    मैं आपको अपने प्रिय त्योहार का नाम नहीं बताऊँगा 
    हालाँकि यह मेरा प्रिय त्योहार है
    फिर भी मैं इसका नाम नहीं बताऊँगा
    लेकिन मैं आपको बताता हूँ
    इस दिन सुबह उठकर हम नए कपड़े पहनते हैं
    और मीठी सेवइयाँ खाते हैं
    शायद आपको पता चल रहा होगा
    कि मेरा प्रिय त्योहार क्या है
    फिर भी मैं इसका नाम नहीं लूँगा
    अगर आपको कठिनाई हो
    तो मैं बता दूँ कि उस दिन सुबह
    हम एक जगह इकट्ठे होते हैं

    अब तो आप जान ही गए होंगे
    कि मेरा प्रिय त्योहार कौन-सा है
    फिर भी अगर दिक़्क़त हो तो 
    मैं बता दूँ कि उस दिन हमें ईदी भी मिलती है
    और अगर अब भी आपको समझ नहीं आया हो तो
    आप जान लें कि इसका नाम है ईद-उल-फ़ितर।

    यह एक बारह साल के बच्चे का निबंध है
    जो छठी कक्षा में पढ़ता है
    जिसका नाम है मुहम्मद फ़ुरक़ान

    उसके कोमल मन पर
    चुभी हुई हैं कितनी शहतीरें
    मुल्क की बदलती सोच से ख़ौफ़ज़दा
    वह जो बता रहा है
    दरअस्ल, उसे वह छिपाना चाहता है।

    स्रोत :
    • संपादक : ज्ञानरंजन
    • रचनाकार : अनीता वर्मा
    • प्रकाशन : पहल-125

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