लैंप पोस्ट के पास खड़ी औरत

laimp post ke paas khaDi aurat

रेखा राजवंशी

रेखा राजवंशी

लैंप पोस्ट के पास खड़ी औरत

रेखा राजवंशी

वो जो रोड के

लैंप पोस्ट के पास

सलमे सितारे से सजी

गुलाबी साड़ी और

ऊँचे सैंडिल पहन

हर रात

खड़ी हो जाती है

वो औरत…

बहुत दर्द छिपा है

उसकी लिपस्ट की मुस्कान में

उसकी आँखों के

काजल और मस्कारे के पीछे

सैलाब छिपा है आँसुओं काI

उसके चेहरे पर फाउंडेशन

और पाउडर की परतों के नीचे

ढंकी हैं उसकी मज़बूरी की झुर्रियाँI

उसके रेशमी लो कट ब्लाउज़ के अंदर

गड़े हैं दैत्यों के दाँत

उसके शरीर के हर उभार पर

चुभे हैं हज़ारों नाख़ून

हर रात धंधे के बाद

वो अंदर-अंदर रोती रहती है

और अपने बिस्तर पर निढाल

देर तक सोती रहती है

तब तक जब तक उसकी छोटी बच्ची

सूखे सीने निचोड़ने लगती है

और दलाल की आवाज़

उसकी नींद तोड़ने लगती है

वो औरत उठती है

बेलबूटेदार बैंगनी साड़ी

और ऊँचे सैंडिल पहन

तैयार होती है

बच्ची को दूध की बोतल थमा

पुचकारती है

और जाके खड़ी हो जाती है

लैंप पोस्ट के पास

अपने सारे दर्द मुस्कान में छिपाएI

स्रोत :
  • रचनाकार : रेखा राजवंशी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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