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कुंदनी बदन

kundani badan

कविता अरोरा

अन्य

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कविता अरोरा

कुंदनी बदन

कविता अरोरा

मख़मली लिबासों से सजी

खनकते लहजे ज्यूँ

साँझ की घंटियाँ हों बजी

चेहरे पर मरकरी उजाले

कानों को चूमते बाले

भरे आसमान बाँहों में

कारों की ठंडी पनाहों में

चमड़े के महँगे पर्स में क़ैद

आइनों से वो झगड़ती हैं

मुँह बना-बनाकर रँगे लबों को

लिपिस्टक से थोड़ा और रगड़ती हैं

अदब की सारी क़वायदें

मिलकर के इन्हें ढाँपती हैं

दुनिया इन्हें इनके

ब्रांडेड सलीक़ों से आँकती है

छरहरी काया

ऊँची हील वाली

यह कुदंनी बदन

औरतें कौन हैं?

काँच के तमाम कफ़स मौन हैं।

स्रोत :
  • पुस्तक : पैबंद की हँसी (पृष्ठ 116)
  • रचनाकार : कविता अरोरा
  • प्रकाशन : बोधि प्रकाशन
  • संस्करण : 2021

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