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कुछ बातें

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सुंदर चंद ठाकुर

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सुंदर चंद ठाकुर

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सुंदर चंद ठाकुर

और अधिकसुंदर चंद ठाकुर

    ताक़त कभी हक़ की बात नहीं करती

    प्रेम की माँग नहीं करता भूखा आदमी

    सूखा कंठ रक्त नहीं दो घूँट पानी माँगता है

    विपदाओं को झेलने और ख़ुशियों को जीने की कोई उम्र नहीं होती

    अत्याचारों को सहने का कोई तजुर्बा नहीं होता

    हम मरते हुए भी जीते हैं और जीते हुए भी मरते हैं

    एक छोटा-सा अन्याय बच्चों की मासूमियत ले जाता है

    एक नि:स्वार्थ उदारता मरने तक याद आती है

    ख़ुशी की रोशनी क्षणभंगुर साबित होती है

    अपार बन जाती है मुसीबत की एक रात

    परोपकार एक छलावा है मगर अत्याचार से बेहतर

    अस्थायी लगाव एक धोखा है मगर नफ़रत से बेहतर

    अंतिम सत्य मृत्यु नहीं वर्तमान क्षण होता है

    मेरे गले में हिचकियाँ भर जाती हैं

    देखता हूँ अँधेरी दुनिया में सालों रियाज़ के बाद

    एक अंधे को लेते कठिन सुर का सधा अलाप

    एक बूढ़ा लड़खड़ाते शिशु की ओर सहारे के लिए बढ़ाता है हाथ

    मैं रो पड़ता हूँ

    यह जानते हुए भी कि मारा जाएगा वह

    एक शख़्स उठाता है जब अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़!

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुंदर चंद ठाकुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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