Font by Mehr Nastaliq Web

क्षमा करो

kshama karo

अशोक वाजपेयी

अन्य

अन्य

अशोक वाजपेयी

क्षमा करो

अशोक वाजपेयी

और अधिकअशोक वाजपेयी

    क्षमा करो स्वच्छ लोकतंत्र के निर्मल नागरिको,

    तुम्हारे स्वच्छता अभियान में तुम्हारे साथ नहीं हूँ

    और अपनी आत्मा की असह्य अपवित्रता और गंदगी में

    ऊभ-चूभ हो रहा हूँ।

    मुझे पता है कि मैं तुम्हारी गिनती में नहीं हूँ :

    मच्छर मारने का धुआँ नगरपालिकाएँ बिना चूके

    फैलाती रहती हैं।

    क्षमा करो नागरिको

    कि नृशंसता, निरपराध को मारने की तुम्हारी अद्भुत वीरता में

    मैं अपनी कायरता के कारण शामिल नहीं हूँ।

    क्षमा करो लोकतंत्र के मुखर पहरेदारो,

    कि तुम्हारे वाग्वैभव, असत्य के गौरवगान में

    मैं अपनी कायर बेसुरी आवाज़ से सुर लगाकर

    उसको दूषित करने की चालाकी बरत रहा हूँ :

    मेरी चुप्पी मानीख़ेज़ भले हो, बेअसर है!

    क्षमा करो भले बिराजे देवताओ,

    तुम्हारे आस-पास बढ़ते कचरे के ढेर में

    मैं एक अधकचरा कवि अपना कचरा नहीं मिला पा रहा हूँ :

    बेसुरी प्रार्थनाओं और बेरहमी से तोड़े गए फूलों से घिरे होने के कारण

    तुम ऊँचा सुनने लगे हो

    और हम जैसे अपनी अछूती बात तुम तक पहुँचा सकने की जुगत

    और अवसर गँवा चुके हैं।

    क्षमा करो

    इससे पहले कि क्षमा माँगने और करने का सिलसिला भी ख़त्म कर दिया जाए!

    स्रोत :
    • पुस्तक : कम से कम (पृष्ठ 70)
    • रचनाकार : अशोक वाजपेयी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए