एक टा गाछक यात्रा-वृत्तांत
...कि तखनहि
हमरा आगूमे खन दऽ कऽ खसल ओ एक हाथक छिम्मड़ि
आ खण्ड-खण्ड विभाजित भऽ गेल
बैसाखक दूपहर
दूभि आ छाउरसँ रगड़ि-रगड़ि कऽ माँजल
फूलक एक टा विराट थारी सन उज्जर
छल धरतीपर राखल
गाछमे जतबा पात छल बचल
कोनो दुःखमे डूबल छल
आकि संभावित चिलकाक कल्पित लोकमे
हवा सन चंचल चीज धरि ठाढ़ छल अविचल
आ अपनहि आगिमे टभकैत समय
कुकुरक जीसँ टप्-टप् चूबि रहल छल
माने ई
जे फूलक एक टा विराट थारीमे
नीरवतासँ ठसाठस भरल छल ओ दृश्य
जखन हम ओइमे एक टा आघात जकाँ पैसल छलहुँ
कि तखनहि—
हमरा आगूमे खन दऽ कऽ खसल ओ एक हाथक छिम्मड़ि
आ खण्ड-खण्ड विभाजित भऽ गेल
ई
एहि सृष्टिक
सभसँ कोमल आ सभसँ उदात्त घटना छल
जखन कि एक टा गाछ
अपन संचित सपनाक संग
पुनर्जन्मक यात्रापर निकलि चुकल छल
अपन पदचापसँ ओहि आदिम पवित्रताकेँ भाँगब
हमरा नीक नहि लागल
आ हम ठामहि घुरैयेबला छलहुँ
(ई किनसाइत प्रकृतिसँ अपनाकेँ अलग बुझबाक अहंकार छल)
कि घुरब व्यर्थ बुझायल
हमरा लागल
जे भऽ सकैए कि एक दिन
जखन एहि बीयाक ई यात्रा निश्चित भेल हेतै
तखन ओकर यात्रा-वृत्तांतमे ई क्षेपक सन्निहित हेतै
जे बरकैत-टभकैत दूपहरमे
एक बीत छाह लेल आतुर एक टा लोक
एक चुरू पानि लेल बेकल एक टा प्राणी जकाँ आयत
आ अपन उत्तप्त रक्तमे
एहि गाछक मूल आकांक्षाकेँ लऽ कऽ बहुत दूर चल जायत
ओकरा देहमे
एक दिस बहैत रहतै ई अभिशप्त समय
आ दोसर दिस ओकर हड्डीक प्रागैतिहासिक अन्हारमे
मोथाक एक टा गिरह बनि कऽ जिबैत रहतै
एहि गाछक हृदय
आ कालांतरमे
वृक्षविहीन एहि दुनियाक कोपड़ सन सुक्खल धरतीपर
हरियर गोदीसँ वंचित दु:खसँ थरथर
जखन दिनानुदिन होइत रहतै मर्मक क्षय
अपन संकल्पमे अविचल निर्भय
ओहि लोकक आत्मामे कल्पतरु जकाँ ठाढ़ रहतै
ई चिर पितर गाछ
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 27)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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