अथ वैदेही कथा
ओकरो आँखिमे
अगहनक रौद आ फागुनक मधु उतरऽ लगैत छैक
ओकरो सपनामे उड़ियाबऽ लगैत छैक रंग
ओकरो देह बाजऽ लगैत छैक
मौसमक संग-संग
ओकरो पड़ोसिया
ओकरा देखिकऽ कनफुसकी करऽ लगैत छैक
ओकरो माय 'कुलच्छनी' बेटीक चालि-चलन देखिकऽ
कानय-उसझय लगैत छैक
ओकरो बाप भटकऽ लगैत छैक—
गामे-गाम
एक दिन ओहो चलि जाइत अछि सासुर
एक दिन बिला जाइत छैक ओकरो नाम
एक बेर आर अपन नैहर जयबाक मनोरथ लेने
ओहो पसबैत अछि भात
आ कहैत अछि—
हमरा तँ मडुयेक रोटी नीक लगैत अछि
ओहो नीपैत अछि चिनवार
लेपैत अछि टुटलहा ओसार
भोर-साँझ माँजैत अछि डेकची-लोहियाक अम्बार
ओकरो काया बनि जाइत छैक पीड़ाक खम्हार
ओहो झहरैत जाइत अछि
टूटल घरकेँ टूटऽसँ बचाबऽमे
ओहो नैहरसँ आयल लोककेँ पीढ़ी दैत अछि
जल पियाबैत अछि तमाकू दैत अछि
आ कहैत अछि
कतेक सुख अछि! कतेक सुख अछि!
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 46)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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