एक टा आगिक बरछी
जखन अपनहि कोठलीक देबालसँ निकलि
एक टा आगिक बरछी
हमरा पाँजरि दिस ससरऽ लगैत अछि
आ हमर छाहमे नुकायल एक टा प्रेतक चीत्कारपर
हमर पीठक धोधरिसँ झहरऽ लगैत अछि भुस्सा
हम अपन नाम
आ खूनमे बचल एक टा धूसर गामकेँ लऽ कऽ
लोकबेद आ घर-दुआरसँ छारल जगह दिस हूलि पड़ै छी—
एक टा उसनल एकान्तसँ प्राण बचेबाक
एहिसँ नीक उपाय आर दोसर की भऽ सकैत अछि
कि भोजन नीन आ सिनेहक खोजमे भटकैत असंख्य तरबाक गंधसँ
अपन लहकल मनोरथकेँ जोड़ि ली
आ जेना बहुत दिनसँ निरंतर सोचैत रहलहुँ अछि
सोचैत रही
जे कोनो कारणेँ हमरा ज्ञात नहि
मुदा एहन घर जरूर होयत कतहु
जतऽ हमर पद्चापक प्रतीक्षा हेतै सभकेँ
जतऽ चाहक पेयाली उठबैत हमर हाथ नहि थरथरायत
जतऽ नीनमे भीजल एक जोड़ा बेकल आँखिकेँ
हमर थकनी आ जगरनाकेँ पी जयबाक एखनहुँ सेहन्ता हेतै...
आखिर ई कोना भऽ सकैत अछि
कि जतऽ पचासो एकड़ जमीनपर रंग-बिरंगक फूल रोपल जाय
जाहि ठामक गाछ-पात अपन रंग वैह जमुनाक डबडबाइत स्मृतिसँ सोखय
जतऽ दुःखक निवारण लेल
कोट-कचहरी आ हाकिम-हुकुमक मारिते बाजार बसि जाय
ओहिठामक कोनो घरमे केओ ककरो आस-बाट नहि ताकय?
धुआँ आ पसेनाक आँचमे बरकैत रातिक अनिद्राक बाद
अगिला दिन
आँखिमे एक टा फूजल केबाड़क दृश्य भरने
मनोकामनाक पछुआरसँ अपना लेल कोनो सोन्हगर सम्बोधन अकानैत
चिनियाबदाम फोड़ैत आ भूजल नून चटैत
अंततः
जाहि संसारक खाधिमे हम अपनाकेँ ढरकल पबै छी
ओ नाँगड़िमे पटक्खा बान्हिकऽ भगैत
हँसैत कनैत प्रेम करैत
आ स्मृति विहीन उत्सवमे देहक डिब्बाकेँ झमारैत
सिनेमा हॉलसँ बहरायल भीड़क दृश्य बुझाइत अछि
जे रसे-रसे हमरा
एकटा गुदगर अभिनेत्रीक फोटोसँ सुसज्जित सान्ध्य-टाइम्समे
गॉथि लैत अछि
आर बहुत दिन जकाँ एक टा आर दिनकेँ मिझाबैत
अपन नामक प्रयोजन तकैत
आ मुइल माइक स्मरण करैत
एक टा विशाल पार्कक बेंचपर बैसि जहिना एहि समयकेँ विचारैत छी
हमरा आँखिक आगू एक टा सोनाक नितम्ब नाचऽ लगैत अछि
जे कखनहुँ कला-दीर्घाक रंग-रोगनमे झलकैत अछि
कखनहुँ काव्य-गोष्ठीमे कविता बँचैत अछि
आ कखनहुँ
एक टा अदृश्य स्त्रीक रति-सुखक चीत्कारमे बदलि जाइत अछि
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 19)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.