क्रांति के सिपाही की जेब में प्रेम कविता

kranti ke sipahi ki jeb mein prem kawita

शशिभूषण

शशिभूषण

क्रांति के सिपाही की जेब में प्रेम कविता

शशिभूषण

मेरे सब की धुरी हो तुम

मैं दूसरों की शिकायतें तुम्हीं से करना चाहता हूँ

दूसरों से मिले आशीर्वाद भी तुम्हें ही दे देना चाहता हूँ

तुम मुझे सबसे सुंदर इसलिए भी लगती हो

क्योंकि मेरे भीतर की सारी सुंदरता तुम्हारे लिए है

तुम्हें चूमने तुम्हारे गले लगने की मेरी ख़्वाहिश

मेरी किसी ज़रूरत को उतना पूरा नहीं करती

जितना मुझे दानी बनाती है।

मैं तुम्हें प्रेम करते हुए मरूँ की कल्पना यदि करता हूँ

तो इसके पीछे यह कामना नहीं है कि मैंने सोच रखा है

प्रेम में मृत्यु मनुष्य को अमर बनाती है

बल्कि इससे दुखांत किंतु बेहतर मैं सोच ही नहीं पाता

यदि मैं इस लायक भी हो जाऊँ

कि यह दुनिया मेरे इशारों पर नाचे

तो मैं चाहूँगा तुम्हारी इच्चाओं का ग़ुलाम होऊँ।

प्रिये,

मैं भी चाहता हूँ तुम्हारी तरह आस्तिक होना

संत होने की सीमा तक धार्मिक होना

भगवान का कोई ऐसा रूप गढ़ लेना

जिसे मैं मनुष्यों के कल्याण के लिए आराध सकूँ

बिना ख़ून बहाए

औरतों, आदिवासियों, मज़दूरों, किसानों को

उनके लूटे गए हक़ दिला सकूँ

मगर ऐसा संभव नहीं हो पाता।

सब ओर से घिर जाने पर

अकेला छोड़ दिए जाने पर

मैं तुम्हारी सुंदर आँखों और प्यारे चेहरे को याद करता हूँ

और आत्मतोष पा लेता हूँ

मैंने पूजा कर ली

मेरी नमाज़ अदा हो गई।

मेरे सुख-दु:ख, स्वर्ग-नर्क तुम्हीं हो

मैं सचमुच समझ नहीं पाता

कब तुम्हें सच्चा प्रेम करता हूँ

जब तुमसे दूर होता हूँ ज़माने भर से लड़ने के लिए

या जब तुम्हें बाहों में भर लेता हूँ।

स्रोत :
  • रचनाकार : शशिभूषण
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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