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ख़्वाब

Khwab

सुषमा सिंह

अन्य

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सुषमा सिंह

ख़्वाब

सुषमा सिंह

और अधिकसुषमा सिंह

    क़ैद कर लो उन ख़्वाबों को

    जो चुपके से हर रात

    तुम्हारी नींद में आकर सो जाते हैं

    जो लाते हैं तुम्हारे चेहरे पर

    मंद-मंद मुस्कान

    और मिटाते हैं

    तुम्हारी दिन भर की थकान

    अपने ख़्वाबों में तुम

    अपनी मल्लिका होती हो

    तुम्हारा होता है अपना रचना-संसार

    सपनों में ही सोते-सोते

    तुम कर आती हो अनंत समुद्र की यात्रा

    पकड़ के वक़्त की उँगलियों को

    पंखों में बसंत को बाँधकर

    तुम नाप आती हो पृथ्वी और आकाश की दूरी

    ख़्वाबों में ही सही तुम कुछ क्षण

    अपने स्वजनों के साथ बैठकर

    कुछ अपनी कह लेती हो

    और कुछ उनकी सुन भी लेती हो

    चल पड़ती हो कभी-कभी

    तुम अपने बचपन की डगर पर

    और कर लेती हो फिर से

    अपने ज़िंदा होने का एहसास

    ये ख़्वाब तुम्हारे

    तुम्हें भर देते हैं नई ऊर्जा और

    नए उत्साह से

    सपनों में ही सही

    तुम क्षण भर के लिए

    विद्रोही हो जाती हो और

    निकाल लेती हो शताब्दियों की भड़ास

    सोचती हूँ

    आँखें मुँदी रहें और चलता रहे

    सपनों का यह संसार

    स्रोत :
    • पुस्तक : बताओ मनु (पृष्ठ 102)
    • रचनाकार : सुषमा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्द युग्म
    • संस्करण : 2022

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