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कवियों पर आरोप

kawiyon par aarop

कृतिका किरण

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कृतिका किरण

कवियों पर आरोप

कृतिका किरण

और अधिककृतिका किरण

    कवियों पर आरोप है

    कि वे लिखते हैं

    सरकार के

    सिस्टम के

    विरुद्ध...

    और घोलते हैं

    देश की जनता के मन में

    ज़हर और दुर्भाव..

    चंद रुपयों

    इनामों

    या फ़ॉलोवर्स के ख़ातिर

    अपनी सफ़ाई में कवि

    लिखते हैं कि

    उनकी एक कविता

    सरकार नहीं गिरा सकती

    ही हिला सकती है सिस्टम

    सत्य यक़ीनन कड़वा होता है

    पर सत्य ज़हर नहीं होता

    ज़हर बस अन्याय करने वालों की

    हद से मीठी ज़ुबाँ होती है

    और कविता किसी एक की ज़ुबाँ नहीं

    जन-वेदना है

    अपनी ख़ाली जेबें झाड़ते हुए

    आँखों में आँखें डाल, वे कहते हैं—

    अगर मेरे शब्द आपको नागवार गुज़रते हैं

    तो समस्या मेरे शब्द नहीं हैं,

    समस्या हैं आप,

    आपका ग़ुलाम अंतर्मन

    जिसे घमंड है अपनी धारणा का

    अपनी चाटुकार प्रवृत्ति का

    वह वेदना नहीं समझता

    ही समझता है लोकतंत्र में

    या अपने जीवन में

    सवालों का महत्त्व

    जब अबोध मन, कक्षा में

    सवाल करना बंद कर देते हैं

    उनका विकास आप ही रुक जाता है

    जब प्रकृति चुपचाप सह लेती है सारे शोषण

    तो वे देखते ही देखते

    बन जाती है प्रारूप नरक का

    और जब आत्मा, देह से

    सवाल करना बंद कर देती है

    तो वह बचती ही कहाँ है?

    मर जाती है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : कृतिका किरण
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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