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कविता विश्वास होती है

kawita wishwas hoti hai

गुरदेव चौहान

अन्य

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गुरदेव चौहान

कविता विश्वास होती है

गुरदेव चौहान

और अधिकगुरदेव चौहान

    कविता विश्वास होती है

    मेरा मन कहता है

    उजड़े घोंसलों में

    कभी कोई पक्षी रहता था

    शिकारी की गोली से

    मेरा विश्वास पक्षी की ओर बढ़ता है

    और उसके घोंसले की तरफ़

    बारूद के ठंडे होते ही

    शुरू होती है कविता

    और जाती है घरों की तरफ़

    जैसे तैयार होकर

    स्कूल जाता है बच्चा

    चूमती है माथा उसकी माँ

    जैसे पालतू तोता लेता

    शरारत-से कुछ मोह के साथ

    सबसे छोटे बच्चे का नाम

    जैसे परों से

    चोंच पोंछती है मुर्ग़ाबी

    जैसे दिन चढ़ता है, होता सूर्योदय

    दुल्हन-सा शर्मीला

    जैसे पंख जाते हैं

    सीमा तक और फिर

    अपने घोंसले की तरफ़

    दाना और तिनका

    एक-से उत्साह के साथ

    चुगती है चिड़िया

    मानो चोंच में हो

    उसका घोंसला

    जैसे सुबह हो

    उसके घोंसले का बोट।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 263)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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