कवि सुंदर
kawi sundar
कवि नहीं दिखते सब से सुंदर
आत्म लीन और मगन मुद्राओं में,
न लिखते हुए अपनी आत्मा के दुःख,
न किताबें पढ़ते हुए,
न करते हुए बातें प्रेमिकाओं से,
न कसते हुए तंज़ तानाशाहों पर,
न करते हुए पैरवी किसी काफ़िर की,
न सोचते हुए फूलों पर कविताएँ।
कवि सबसे सुंदर दिखते हैं,
जब वे बात करते हैं,
अपने प्रिय कवियों के बारे में,
प्रिय कवियों की बात करते हुए,
उदासी में भी उनका चेहरा खिल जाता है।
हथेलियाँ घुमाकर,
उँगलियों को उम्मीद की तरह उठाए,
जब वे प्रिय कवियों के बारे में बात करते हैं,
तो लगता है,
कवि अनाथ नहीं है।
- पुस्तक : आश्चर्यवत् (पृष्ठ 84)
- रचनाकार : मोनिका कुमार
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2018
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