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कल आप ख़ुद

kal aap khu

साँवर दइया

अन्य

अन्य

साँवर दइया

कल आप ख़ुद

साँवर दइया

यह पागलपन आपका

कभी परेशान करेगा

ख़ुद आपकों ही

मनुष्य को मारकर

फूलों भले ही मन में

लेकिन कल आप ख़ुद

खोज-खोजकर हार जाएँगे

मिलेगा नहीं आदम का जाया

कहीं आपकों।

आपके चारों ओर

छलाँगें मार रहा है जो हर्ष का दरिया

देखते-ही-देखते सूक जाएगा

यह नहीं मानेंगे आप आज

लेकिन प्रत्यक्ष देखेंगे

कल आप ख़ुद अफ़सोस करेंगे

इन्हीं इंसानों की ख़ातिर!

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 87)
  • रचनाकार : साँवर दइया
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2012

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