Font by Mehr Nastaliq Web

जूते बेटी के

jute beti ke

अनूप सेठी

अन्य

अन्य

अनूप सेठी

जूते बेटी के

अनूप सेठी

घर भर में फैले हैं जूते बेटी के

जगह-जगह कई जोड़ियाँ

कई बिछड़े हुए जुड़वाँ भाई

एक पलंग के नीचे ऊँघता धूल भरा

दूजा कहीं अलमारी में

फँसा रह गया लक्कड़ पत्थर के नीचे

दिखा ही नहीं सालों-साल

कुछ घिसे हुए पहने गए फट-फटा कर मुक्त हुए

कुछ मरम्मत कराए जाने तक टिके रहे

स्कूल की वर्दियों के हिस्से

कुछ एकदम नए-नकोर पर मुरझाए हुए

पहने ही नहीं गए

बाल हठ ने ख़रिदवा लिए

लड़की होने की धज ने पहनने नहीं दिए घर आकर

बेचारे स्पोर्ट्स शूज भारी-भरकम

विज्ञापनी अदा में अकड़े और ठसक से रहने वाले दिखते हुए

धरे ही रह गए

माँ बार-बार सहेजने-समेटने की कोशिश करती है

सफ़ाई अभियान में कई बार पनिहाँ भी निकल आती हैं

नन्हीं गुदाज छौनों-सी

सूटकेसों में बंद कपड़ों में नर्म नींद लेतीं

निहार कर वापस रख देती है

सफ़ाई के इरादे को स्थगित करते हुए

हर बार पुराने दिनों, महीनों और साल दो साल की उम्र के

फ्रॉकों के साथ सजाते हुए

आषाढ़ का आकाश है गुलमोहर खिले हैं

पीलाई-ललाई फैलती जाती है

कमरे की हर शै से होती हुई

रूह के अंतरतम कोनों तक

एक झंकार रोशनी की

हवा ख़ुशबू से सिहराती हुई

रोशन जमाना हो उठे

क्या पता एक और किलकारी गूँजे

किसी भाग भरे दिन गोद में

ये कपड़े, ये मोज़े, ये जूते तर जाएँ

एक खिलौना घर में जाए

बच्ची बहुत मगन है

माँ की चप्पल उसे भी गई

जूते पहन के बेकार करने की डाँट अब नहीं पड़ेगी

मिल-जुलकर पहन लेंगी माँ-बेटी

गई उम्र अब

साझे और भी कर लेंगी राज़ दस हज़ार दुनिया-जहान के

कभी-कभी नई उम्र की सैंडल पहन कर

माँ भी हो आएगी बाज़ार

हिम्मत नहीं होती अभी पूरी तरह से सोचने की

छोटी हो गई चीज़ों को अब विदा कह दो

वक़्त बीत गया

उड़ गए आषाढ़ के बादल

गुलमोहर झर-झर झर गया आँसुओं की तरह

सलेटी रोशनी है अटकी हुई खिड़की पर

धीमी-धीमी आवाज़ रही है दूसरे कमरे से

तार पर गज घिसने की

वाइलिन है या सारंगी

कोई चला हो जैसे मीलों पैदल

सूखे के दिनों में

बस्ती नहीं

दिखा भी तो पीपल

अपनी गोद में झरे हुए पत्तों के अंबार समोए हुए

कानों में पड़ रही है दूर कहीं कोई मद्धम कूक

सूखी हुई नदी होगी उसके आगे

उसके पार क्या ख़बर

कोई रोता होगा दीवार से सिर टिका कर या

बस्ती से दूर जाकर

उठ वे मना

अभी बहुत काम बाक़ी हैं

तरकाल बेला है

दिया तो बाल।

स्रोत :
  • रचनाकार : अनूप सेठी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY