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जो जो मैंने चाहा था

jo jo mainne chaha tha

अनुवाद : दुष्यंत

मोनालिसा जेना

अन्य

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मोनालिसा जेना

जो जो मैंने चाहा था

मोनालिसा जेना

और अधिकमोनालिसा जेना

    जो जो मैंने चाहा था

    वो सब वह कर चुका था

    नेरूदा की कविताओं का अनुवाद

    सुनाना चाहती थी जिस शाम

    उस दिन उसने अपनी किताब दी मुझे

    उपहार में।

    उसे चोट पहुँचाने के लिए

    जिस आयुध की प्रतीक्षा में थी

    एक दिन वही स्वयं

    मेरे हाथों में रखकर चला गया।

    उसको एक दिन भी पढ़कर

    जो जो मैंने लिखा था

    अलग शब्दों में वो भी वह लिख चुका था।

    वह मेरी छाया

    या फिर मैं उसकी काया?

    बूझ नहीं पाती

    कि उसकी कीर्तनमंडली में नहीं रहूँगी सोचकर

    जिस दिन उसकी सभा में

    नहीं गई थी

    उसी दिन वह मेरे बरामदे में

    पुष्पगुच्छ लिए प्रतीक्षारत था

    और उसने कहा, जाने क्यों,

    सभायें मुझे भी उतनी अच्छी नहीं लगती...'

    ख़ूब विलम्ब हो गया था

    मूक मृत देह जैसा

    मेरी इच्छायें सब

    मेरे भीतर स्थगित रहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रहो तुम नक्षत्र की तरह (पृष्ठ 77)
    • रचनाकार : मोनालिसा जेना
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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