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जिन शब्दों के कोई अर्थ नहीं थे

jin shabdon ke koi arth nahin the

यशस्वी पाठक

अन्य

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यशस्वी पाठक

जिन शब्दों के कोई अर्थ नहीं थे

यशस्वी पाठक

और अधिकयशस्वी पाठक

    जिन शब्दों के कोई अर्थ नहीं थे

    उन्हें निरर्थक शब्द कहा गया

    निरर्थक शब्द बच्चों की ज़बान पर चहकते-मचलते रहे

    सार्थक शब्दों को समझदार-नासमझ मनुष्यों ने

    दुलारा, गुद-गुदाया, चबाया, हवा में उछाला, ज़मीन पर पटका, एड़ियों से रगड़ा, उठाया, चूमा

    प्रत्येक क्रिया में अर्थ निकलते रहे

    घर, परिवार, दोस्त, अख़बार, टी.वी., बाज़ार, दफ़्तर, इंटरनेट, फ़ेसबुक, आभास युग, हवा-पानी, धरती-आकाश, वायुमंडल, अंतरिक्ष

    बक-बक, बकर-बकर, चपड़-चपड़

    शब्द-शब्द, बात-बात, अर्थ-अर्थ

    सब सार्थक

    दुनिया सार्थक शब्दों से भर चुकी है

    ठसाठस

    शब्दों ने मुझे, तुम्हें, उन्हें, उन्हें, उन्हें, उन सबको, हम सबको कस लिया है

    दूरियों को धक्का मारकर गिराया जा चुका है

    उच्चारण स्थानों पर चिपके निरर्थक शब्द मौन हैं

    सार्थक शब्दों के शोक में

    शब्द-शक्ति विस्फोटक हो चुकी है और दुनिया निरर्थक।

    स्रोत :
    • रचनाकार : यशस्वी पाठक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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