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इतिहास

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विमलेश त्रिपाठी

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और अधिकविमलेश त्रिपाठी

    वह संसार में सबसे अधिक विवादित था

    त्रस्त और पीड़ित भी

    अपने जन्म से लेकर अब तक

    उसे कभी साबुत नहीं रहने दिया गया था

    सत्ताएँ बदलने के साथ ही

    उसके रंग बदले जाने लगते थे

    वह कभी हरा

    कभी सफ़ेद

    तो कभी-कभी बिल्कुल गेरूआ दिखने लगता था

    इस क्रम में वह कभी काला भी हो गया हो बिल्कुल

    तो हैरत नहीं होनी चाहिए

    हर काल और अवधि में एक राजा उसे सँवारने के लिए

    कुछ रसूख़दार लोगों को नियुक्त करता था

    रखी जाती थी कड़ी निगरानी

    लिखी जाती थीं इबारतें

    लिखे जाते थे स्तुति-गान

    बाँटे जाते थे पारितोषिक

    इन सबके बीच उसके लिए बहुत कम जगह बचती थी

    वह भयग्रस्त होकर

    किसी कोने में दुबक जाता था

    कि वह थोड़ा-सा ज़िंदा रहे

    भर सके अपने फेफड़े में थोड़ी साफ़-शुद्ध ऑक्सीज़न

    लेकिन वह हर कोने अंतरे से खींच लिया जाता

    चलने लगते थे समय के पोसुआ रंदे

    ताकि वह उसी तरह रहे

    जिस तरह वे रखना चाहते हैं

    कभी-कभी वह भागकर

    चला जाता था किसी फ़क़ीर की झोली में

    गीत बन जाता था

    किसी पागल कवि के मत्थे चढ़ता कभी

    और कविता बन जाता था

    सत्ताएँ लाख कोशिश करतीं कि जकड़ लें उसे

    या मार ही डालें

    लेकिन हर बार वह थोड़ा-सा साबुत छूट ही जाता था

    थोड़ा-सा साबुत बच ही जाता था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विमलेश त्रिपाठी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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