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इतिहास दरअसल चुनाव है

itihas darasal chunaw hai

प्रतिभा चौहान

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प्रतिभा चौहान

इतिहास दरअसल चुनाव है

प्रतिभा चौहान

और अधिकप्रतिभा चौहान

    उसी वक़्त मुझे लिखना था

    जब लिखने के वास्ते कोई सज़ा थी मुक़र्रर

    अत्याचारों के ख़िलाफ़

    आवाज़ उठाते वक़्त काँपती आवाज़ों को

    मुझे दे देना था सहारा

    कुछ गिर चुके शब्दों को

    फिर से बुलंद नारों में कर देना था तब्दील

    पृष्ठों की शृंखला में उकेरनी थीं सिसकियाँ

    बन जाना था अट्टाहस और दंभ के ताबूतों की आख़िरी कील

    परंतु,

    एक महान परंतु में

    सर झुके रहने की आदत

    दरअसल हमारे व्यक्तित्व का फोड़ा है

    और उभर आता है

    दुरूह असह्य रास्तों पर अक्सर

    और बेज़ुबान हो जाती है ज़ुबान

    कुछ कह पाने की टीस

    सालती है रह-रह कर हमेशा

    लिख पाने के दर्द को

    वक़्त उकेरता है चट्टानों पर

    पिघलते हिमखंडों पर

    आकाशगंगाओं के झुंड में

    माना लिखना सज़ा है

    पर दवा भी है हज़ार ज़ख़्मों की

    इतिहास दरअसल चुनाव है,

    और चुनाव की पद्धति तुम्हें पता होनी चाहिए

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रतिभा चौहान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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