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आदमी से तुम जन्मे और आदमी में ही जाकर विलीन हो जाना है

adami se tum janme aur adami mein hi jakar vilin ho jana hai

अनुवाद : सुरेश सलिल

येहूदा आमिखाई

अन्य

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येहूदा आमिखाई

आदमी से तुम जन्मे और आदमी में ही जाकर विलीन हो जाना है

येहूदा आमिखाई

और अधिकयेहूदा आमिखाई

    युद्ध में मौत की शुरुआत

    सीढ़ियाँ उतरते नौजवान के साथ होती है

    युद्ध में मौत की शुरुआत

    बेआवाज़ दरवाज़ा बंद होने के साथ होती है।

    युद्ध में मौत की शुरुआत

    निहारने के लिए खिड़की खुलने के साथ होती है।

    लिहाज़ा : जाने वाले के लिए मत रोओ

    रोओ उसके लिए, जो घर की सीढ़ियाँ उतरता है,

    रोओ उसके लिए, जो अपनी अकेली और आख़िरी चाबी

    अपनी बैक पॉकिट में रखता है,

    रोओ उस तस्वीर के लिए, जो हमारी बजाए याद रखती है

    उस काग़ज़ के लिए, जो याद रखता है

    रोओ उन आँसुओं के लिए, जो याद नहीं रखते।

    और इस वसंत में

    खड़े होकर जो धूल से कहेगा :

    आदमी से तुम जन्मे और आदमी में ही जाकर विलीन हो जाना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 380)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : येहूदा आमिखाई
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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