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हम सिर्फ़ रीमिक्स सुनते हैं

hum sirf rimiks sunte hain

प्रदीप सैनी

अन्य

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प्रदीप सैनी

हम सिर्फ़ रीमिक्स सुनते हैं

प्रदीप सैनी

और अधिकप्रदीप सैनी

    तुम्हें अच्छा लगता है यूँ

    पास-पास बैठकर जब हम

    एक ही इयरफ़ोन पर साझा करते हुए गीत

    लगा लेते हैं अपने एक-एक कान में

    इयरफ़ोन के अलहदा सिरे

    यह आबिदा परवीन गा रही है

    जो ऐसी बारिश का नाम है

    जिसमें रूह को तन पर पहन भीज जाते हैं हम

    कुछ ही देर में ये आवाज़ दूर होती जाती है

    यह ख़ालिस हुनर की ख़ामी कह लें

    वह बाँध नहीं सकता बहुत देर

    और आपको भीतर की ओर धकेल देता है

    अब कोई दूसरी आवाज़ है

    जो सुन रहा हूँ मैं

    यह इस समय के वर्जित शब्दों से लबरेज़ एक गीत है

    कहना मुश्किल है कि इसे आत्मा गा रही है या देह

    संगीत कुछ जाना-पहचाना-सा मालूम होता है

    ग़ौर से सुनने पर ही जान पाता हूँ

    हम दोनों की जुगलबंदी है यह तो

    एक ही इयरफ़ोन पर एक साथ

    उसे सुन रहे हैं हम एक कान से

    हमारा दूसरा कान बाहर का शोर सुनता है

    मैं सोचता हूँ कि तुम

    इस वक़्त क्या सुन रही हो

    तुम्हारा सुना हुआ मेरे सुने हुए से जुदा ही होगा

    और रचे जा रहे से अलग तो यक़ीनन ही

    इस तरह हम बाहर के शोर में

    अपने ही संगीत का

    दूसरे कान द्वारा किया गया रीमिक्स सुनते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रदीप सैनी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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