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विरासत

virasat

हरिओम राजोरिया

अन्य

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और अधिकहरिओम राजोरिया

    मेरे पूर्वजों ने बाँधा नहीं नदियों को

    जंगल साफ़ करके बनाए नहीं खेत

    यों करने को बहुत कुछ किया

    झूठ के बड़े-बड़े पुल खडे किए

    सात कमरों के भीतर क़ैद किया सत्य को

    उनके इशारों पर रेते गए कलाकारों के गले

    बिछाए गए कामगरों के रास्तों में कांटे

    आतताइयों के राजतिलक हुए

    मक्कारों के वज़ीफ़े मुकर्रर किए गए

    ऐसी ऊँची जात में पैदा होकर

    कैसे छुपाऊँ अपनी शर्म को

    ऐसे शब्द-शिल्पियों और शिक्षविदों का क्या करूँ

    जो अत्याचारों को न्यायसंगत ठहराते रहे

    कलंक-गाथायों को करते रहे महिमा-मंडित

    जिनके रहते अपने ही घरों में

    बिलखते-बिलखते गूँगी हो गईं स्त्रियाँ

    कूप-मँडूकता का पाखाना है मेरे घर में

    पोथियों के ढेर में कहाँ जाकर छुपायूँ चेहरा

    अपने मन को कब तलक बरगलाऊँ

    पीढियों का सिंचित पाखँड आया है मेरे हिस्से में

    किस जल से धोऊँ अतीत की कालिख

    इस पवित्रता से कैसे पीछा छुडाऊँ?

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरिओम राजोरिया
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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