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कोई

koi

होर्खे लुइस बोर्खेस

अन्य

अन्य

और अधिकहोर्खे लुइस बोर्खेस

    एक आदमी जिसे समय ने पस्त कर दिया है,

    एक आदमी जिसके लिए मौत भी पाना मुश्किल—

    (मृत्यु भी तो एक तरह का हिसाब है

    हर एक के लिए एक ख़तरा

    कि कहीं वही वह पहला आदमी हो जो मरे)

    जिसे यदि दिन भर में भीख भी मिल जाए किसी तरह

    तो अपने को धन्य समझता है :

    सोना, जागना, पानी पीना,

    कोई भूलाबिसरा शब्द,

    किसी प्राचीन कविता की पंक्तियाँ,

    किसी स्त्री की याद जो आज से

    लगभग तीस साल पहले उसे छोड़ कर चली गई थी

    लेकिन जिस के लिए अब उसके मन में कोई

    कटुता बची हो,

    एक आदमी जो महसूस कर रहा हो कि वर्तमान

    भविष्य भी है और भूलना भी,

    एक आदमी जिसने धोखा दिया भी हो

    और धोखा खाया भी हो,

    कभी-कभी अनायास ही, सड़क पार करते

    एक अजीब तरह की ख़ुशी अनुभव कर सकता है,

    ख़ुशी जो आशा की तरफ़ से नहीं आती

    बल्कि उस के अंदर से, किसी बुनियादी सरलता से

    किसी ईश्वर जैसी चीज़ से आती है।

    उसे ठीक से समझना ही ठीक है, इतना वह

    ठीक से समझता है, कई ऐसे कारण हैं

    बाघ से भी ज़्यादा ख़तरनाक, जो साबित कर देंगे

    कि फटेहाल रहना ही उस का कर्तव्य है,

    डरते-डरते वह इस ज़रा-सी ख़ुशी,

    ज़रा-से उजाले, को ग्रहण कर लेता है।

    शायद मरने पर जब धूल

    धूल ही होगी, हम ख़ुद समा जाएँगे इन्हीं पेचीदा जड़ों में

    जिस से हमेशा उगते रहेंगे

    शांत या वीभत्स

    हमारे अपने स्वर्ग-नर्क।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 46)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : होर्खे लुइस बोर्खेस
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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