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हवा में

hawa mein

पूनम अरोड़ा

अन्य

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पूनम अरोड़ा

हवा में

पूनम अरोड़ा

और अधिकपूनम अरोड़ा

    हवा में बहती

    एक गंध

    जो स्थगित कर देती हैं तुम्हारी निर्वसन स्मृतियाँ

    कि तभी अचानक याद जाता है मुझे

    हमारा प्रथम सहमा और सकुचाया संवाद

    और उस संवाद के बीच में किसी और स्मृति का जाना

    स्मृति में वह हाईवे भी आता है

    जिस पर भूलवश मेरी गाड़ी का स्टेरिंग घूम गया था

    स्मृति का यह टुकड़ा तुम्हारे शहर के साथ चलते

    रेत के टीलों से अभिन्न प्रेम रखता है

    अस्थिर स्मृतियों में तुम्हें देखने से कब रोक पाई मैं ख़ुद को

    मोरोकन चाय पीते हुए

    जब तुम सुनते थे जॉर्ज माइकल के गीत

    उस समय मैं स्मृतियों में

    नीले आकाश में खालीपन को ढूँढ़ रही होती थी

    और तुम्हारी मेरी नाभि छूने के अविरल संकेत पर

    मैंने बुन ली थी मन में एक टूटी सी कविता

    स्मृतियों की सृष्टि कितनी सघन होती है

    कि दृष्टि और दृश्य में मेरे केश अब तक खुले हुए हैं रागों से

    अनंत अंधकार में

    मैंने एक दिन बाँध दी थीं सब स्मृतियाँ

    अपनी बिल्लियों के गले में

    अब मैं एक हवा हूँ

    किसी भी अर्थ में ध्वनि नहीं मेघों की।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पूनम अरोड़ा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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