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चार लैन सुणा रियो ऊँ

chaar lain suna riyo un

सुरेंद्र शर्मा

अन्य

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सुरेंद्र शर्मा

चार लैन सुणा रियो ऊँ

सुरेंद्र शर्मा

और अधिकसुरेंद्र शर्मा

     

    एक

    हमने अपनी पत्नी से कहा—
    तुलसीदास जी ने कहा है—
    ‘ढोल गँवार सूद्र पशु नारी। 
    ये सब ताड़न के अधिकारी।’
    इसका अर्थ समझती हो या समझाएँ?
    पत्नी बोली—‘इसके अर्थ तो बिल्कुल ही साफ हैं
    इसमें एक जगह मैं हूँ
    चार जगह आप हैं।’

    दो

    ‘पत्नी जी!
    मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है
    तू सैकड़ाँ मैं एक है।’
    वा बोली—‘बेवकूफ मन्ना बणाओ
    बाकी निन्याणवैं कूण-सी हैं
    या बताओ!’

    तीन

    ‘पत्नी जी!
    मैं छोरा नैं राम बनने की प्रेरणा दे रियो ऊँ
    कैसा अच्छो काम कर रियो ऊँ!’
    वा बोली—‘मैं जाणूँ हूँ थैं छोरा नैं
    राम क्यूँ बणाणा चाहो हो
    अइयां दसरथ बणकै तीन घरआली लाणा चाहो हो!’

    चार

    ‘पत्नी जी!
    जै मैं ऊ युग मैं
    महाराणा परताप होत्तो तो के होत्तो?’
    वा बोल्ली—'महाराणा परताप को घोड़ो चेत्तक 
    खुद मरणे की जंगा थारा ही पराण ले लेत्तो!' 

    स्रोत :
    • पुस्तक : हास्य-व्यंग्य की शिखर कविताएँ (पृष्ठ 213)
    • संपादक : अरुण जैमिनी
    • रचनाकार : सुरेंद्र शर्मा
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण पेपरबैक्स
    • संस्करण : 2013

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