Font by Mehr Nastaliq Web

हमारे इस असमय में

hamare is asamay mein

राकेश रंजन

अन्य

अन्य

राकेश रंजन

हमारे इस असमय में

राकेश रंजन

और अधिकराकेश रंजन

    दहशत और दरिंदगी से भरे

    हमारे इस असमय में

    हो सकता है

    घर लौटते वक़्त दिख जाएँ

    फ़सल की तरह काटे गए

    किसानों, खेतिहर मज़दूरों के शव

    या दिख जाएँ

    बाग़ों की तरह उजाड़े गए

    सैकड़ों घर

    जंगल-जैसे काटे गए

    अनगिनत लोग।

    हो सकता है घर लौटूँ तो देखूँ

    पिता की कटी गर्दन

    भाई का छलनी-छलनी बदन

    माँ की कटी छाती

    चिरनिद्रा में लीन बहन निर्वसन

    ख़ून और ख़ून और ख़ून इधर-उधर।

    दहशत और दरिंदगी से भरे

    हमारे इस असमय में हो सकता है...

    हो सकता है मैं ही लौट पाऊँ

    अपने घर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राकेश रंजन
    • प्रकाशन : हिंदी समय

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए