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गुमशुदगी

gumshudgi

संदीप तिवारी

अन्य

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संदीप तिवारी

गुमशुदगी

संदीप तिवारी

और अधिकसंदीप तिवारी

    मैंने तुम्हारे खोने पर

    कोई गुमशुदगी नहीं लिखाई

    कोई इश्तहार नहीं छापा

    थाने नहीं गया

    रिपोर्ट नहीं लिखाई

    ट्रेन में, स्टेशनों और सार्वजनिक जगहों पर

    पर्चे नहीं चिपकाए

    कुछ नहीं किया

    जो हर गुमशुदा के साथ होता है

    मुझे तुम्हारा रंग नहीं याद रहा

    यह भी नहीं याद

    आख़िरी बार किस कपड़े में मिली थीं

    दुनिया के किस पैमाने से नापता

    तुम्हारी क़द-काठी

    तुम्हारे गाँव का नाम क्या बताता

    मुझे तुम्हारा पागलपन पता था

    पर तुम्हें पागल कैसे कहता

    मुझे तुम्हारी गंध पता थी

    पर उसे काग़ज़ पर कैसे लिखता

    कौन वापस करता मुझे मेरी खोई हुई नींद

    कौन मिलाता मुझे मेरी खोई हुई आत्मा से

    जब मेरे पास नहीं थी

    देने के लिए ईनाम की धनराशि

    फिर कौन करता मुझे याद

    कौन कहता कि

    आज दुनिया की सबसे अजीबोग़रीब क़द-काठी को

    मैंने सड़क पार करते देखा

    क्या सारी यात्राएँ

    इसीलिए नहीं

    कि तुम एक दिन मिलोगी

    और मेरे साथ पार करोगी सड़क

    पकड़ोगी मेरा हाथ

    थोड़ी देर देखोगी

    और एक बार ज़ोर से हँस दोगी

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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