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घर की मल्लिका

ghar ki mallika

प्रकाश मनु

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प्रकाश मनु

घर की मल्लिका

प्रकाश मनु

और अधिकप्रकाश मनु

    तीन दिनों के लिए गई है

    इस घर की मल्लिका

    और ये तीन दिन कर्फ़्यू के दिन हैं।

    इन तीन दिनों में कोई आना

    उसके पीछे...

    कि इन तीन दिनों में यह घर

    फ़र्श पर फैले मैले-मुचड़े कपड़ों

    जूठे-गंधाते बरतनों, उतरे चेहरों

    और रुकी और थकी-थकी बासी हवाओं

    में गुम हो चुका है।

    सब कुछ है यहाँ मौजूद

    पर सब पर तारी उदासी की एक सतर

    जो होंठों से उतरती ही नहीं।

    अलबत्ता इस सारी टूटन और उदासियों में

    आर-पार गुज़रता एक ही सुख

    जो टहल रहा है

    किसी राहत वैन की तरह यहाँ से वहाँ...

    कि तीन दिन बीतते ही वह लौटेगी

    वह जो इस घर की रानी है, महारानी

    और उसके एक दृष्टिपात से

    यह रुका-रुका, थका घर

    अपने पहियों में लगी जंग और जकड़न छुड़ाकर

    फिर चल पड़ेगा अपनी सदाबहार लय-चाल में...

    उदासियों की गाढ़ी सतर को तिर्यक् काटते हुए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रकाश मनु
    • प्रकाशन : वनमाली कथा,अप्रैल-2024

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